जयपुर

‘मोम की गुडिया’ ने किया कमाल, डाक्टर शहर का इलाज नहीं कर पाई, दे दी एसीबी की गलत दवाई

जयपुर की मेयर, नगर निगम ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर द्वारा करौली में सरकार के खिलाफ हल्ला बोल किए जाने के बाद शहर भाजपा में उबाल

भाजपा पार्षदों ने नगर निगम हैरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर को ‘मोम की गुडिया’ की उपाधि दी थी, लेकिन शहर के मौजूदा हालातों को देखकर लग रहा है कि मोम की गुडिया ने तो कमाल कर दिया है, लेकिन ग्रेटर की डाक्टर सौम्या गुर्जर शहर की बीमारियों का इलाज करने के बजाए एसीबी की गलत दवाई दे दी है।

जयपुर के दोनों नगर निगमों में इस समय सबसे बड़ी समस्या ठेकेदारों की हड़ताल तुड़वाना था। हैरिटेज महापौर मुनेश इसमें आगे निकल गई और उन्होंने न केवल ठेकेदारों को भुगतान कराया, बल्कि हड़ताल को भी तुड़वा दिया। वहीं दूसरी ओर गे्रटर महापौर डाक्टर सौम्या गुर्जर इस मामले में नाकाम साबित दिखाई दी। वह न तो अभी तक ठेकेदारों को भुगतान करा पाई और न ही हड़ताल को तुड़वा पाई है।

शहर भाजपा में कहा जा रहा है कि महापौर की नजर जयपुर पर नहीं बल्कि करौली पर है, ऐसे में शहर की रैंकिंग भी गिरेगी और भाजपा को नुकसान भी उठाना पड़ेगा। सौम्या गुर्जर ने जयपुर छोड़कर करौली में जाकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कार्यक्रम आयोजित किया, इसका अर्थ यही निकाला जा रहा है कि अब जयपुर को छोड़कर उनका ध्यान करौली की तरफ रहने वाला है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश संगठन के इशारे पर सौम्या गुर्जर ने करौली में हल्लाबोल कार्यक्रम आयोजित किया था, वरना किसी कि हिम्मत नहीं कि वह अपने क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में जाकर कार्यक्रम करे। इसके लिए फोन करके जयपुर से भी पार्षदों को बुलाया गया था और कहा जा रहा है कि करीब 12 पार्षद करौली के हल्लाबोल कार्यक्रम में शामिल हुए थे। एक तरह से तो यह भाजपा पार्षदों में गुटबाजी का मामला बन रहा है।

सूत्र कहते हैं कि गुर्जर जोड़-तोड़ करके जयपुर की मेयर बनी हैं। कांग्रेस पहले ही उनपर भ्रष्टाचार करके मेयर बनने का आरोप लगा रही है। इस कार्यक्रम से यही लगता है कि उनको संगठन ने वाजिब कार्यकर्ता का हक मारकर जयपुर की जनता पर थोपा है। आज भी जयपुर के पार्षदों की निष्पक्ष राय ली जाए तो वह गुर्जर के खिलाफ ही आएगी।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि हकीकत यही है कि गुर्जर का क्षेत्र करौली था और जयपुर में सरकार के कारण उनकी राजनीति नहीं चल पाई तो वह फिर से करौली की तरफ रुख कर रही है, जो जयपुर की जनता के साथ अन्याय है। महापौर अब दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहती है। वह जयपुर की तो महापौर बन गई और करौली में राजनीति करना चाह रही है, ताकि उन्हें या उनके पति को करौली से टिकट मिल जाए। भाजपा में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या संगठन के बड़े नेता उन्हें करौली से टिकट का आश्वासन दे चुके हैं?

उधर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सौम्या गुर्जर ने करौली में सरकार के खिलाफ हल्लाबोल कार्यक्रम नहीं किया बल्कि पुलिस-्रप्रशासन के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया था, लेकिन ऐसे शक्ति प्रदर्शन से दाग धुलने वाले नहीं है। पुलिस प्रशासन तो कानून के हिसाब से ही काम करेगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि भाजपा संगठन ने गुर्जर को करौली में प्रदर्शन की इजाजत देकर जयपुर की जनता के साथ बड़ी धोखाधड़ी की है।

ग्रेटर महापौर का पद जयपुर की ही कोई महिला संभालती तो जनता का ज्यादा भला होता, सरकार भी उसका साथ देती। ऐसा नहीं है कि विपक्षी दल का महापौर है तो सरकार उसे काम नहीं करने देगी, लेकिन सौम्या गुर्जर तो काम करने के बजाए राजनीति करके खुदका चेहरा चमकाने की कोशिशों में लगी थी।

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