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जयपुर के विश्व विरासत स्थल आमेर महल की आएगी शामत, छिन जाएगा विश्व विरासत स्थल का दर्जा

धरम सैनी

जयपुर। राजस्थान के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल और विश्व विरासत स्थल आमेर महल की शामत आने वाली है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। महल की सारी व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो जाएगी, जिससे पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आ सकती है।

प्रदेश के वन विभाग से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। नाहरगढ़ विवाद में वन विभाग ने पुरातत्व विभाग, आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा), पर्यटन विभाग, आरटीडीसी, आबकारी विभाग से जानकारी मांगी थी कि किसकी इजाजत से नाहरगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियां चल रही है। इन विभागों द्वारा वन विभाग को जानकारी देने में लगातार आनाकानी की गई, जिससे वन विभाग नाराज हो गया।

विभाग यह जानकारी देते भी कैसे, क्योंकि वह खुद अवैध रूप से इन गतिविधियों का संचालन करवा रहे थे। अभ्यारण्य क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियां वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की खुली अवहेलना है।

निकाल दिए पार्किंग बंद करने के आदेश

जानकारी नहीं दिए जाने से नाराज वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने प्रारंभिक कार्रवाई के तौर पर अभ्यारण्य क्षेत्र में स्थित पर्यटन स्थलों पर वन भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई पार्किंग को बंद करने के आदेश निकाल दिए हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अवैध पार्किंग में खड्डे खोद कर पेड़ लगा दें। पार्किंग स्थलों को कंटीली वायर फेंसिंग से कवर कर दें और वन विभाग का बोर्ड लगा दें, ताकि यह विभाग दोबारा इस जगह पर पेड़ों को नुकसान पहुंचाकर वन भूमि पर कब्जा नहीं कर सकें।

वन अधिकारियों द्वारा इन पर्यटन स्थलों के खिलाफ पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है, जिसे समय-समय पर लागू किया जाएगा। विभाग के सूत्रों के अनुसार अगला नम्बर नाहरगढ़ का हो सकता है। वन विभाग नाहरगढ़ पर बिजली कनेक्शन के लिए आरएसईबी को नोटिस देने की तैयारी में है। नोटिस देकर नाहरगढ़ से सभी बिजली कनेक्शन हटवाए जा सकते हैं।

यह पर्यटन स्थल होंगे प्रभावित

forest land map

जानकारी के अनुसार इस आदेश से विश्व विरासत स्थल आमेर महल, नाहरगढ़, जयगढ़ पर पार्किंग की समस्या खड़ी हो जाएगी। सबसे ज्याद प्रभाव आमेर महल पर पड़ेगा, क्योंकि यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं और पर्यटन सीजन के दौरान यहां बनी पांच पार्किंग छोटी पड़ जाती है। अधिकारियों का कहना है कि आमेर महल के लिए पुरातत्व विभाग ने वन विभाग की बिना इजाजत के परियों के बाग और मावठे के बीच में बड़ी बस पार्किंग बना रखी है।

रहता है लेपर्ड का मूवमेंट

केसर क्यारी के पास बने लाइट एंड साउंड शो को लेकर दोनों विभागों में पहले भी विवाद हो चुका है। पुरातत्व विभाग बस स्टैंड से केसर क्यारी तक रास्ता बनाना चाहता था, लेकिन वन विभाग ने काफी समय तक इसकी इजाजत नहीं दी, क्योंकि इस क्षेत्र में लेपर्ड व अन्य वन्यजीवों का मूवमेंट रहता है। नाहरगढ़ अभ्यारण्य में मावठा और सागर दो ही प्रमुख जल स्त्रोत है और इसी विवादित पार्किंग और केसर क्यारी के लिए बनाए गए रास्ते से ही वन्यजीव रात में मावठे में पानी पीने के लिए आते हैं।

नाहरगढ़ है सारे विवादों की जड़

नाहरगढ़ को लेकर वन विभाग और पुरातत्व विभाग के बीच भारी विवाद हो चुका है। यहां पुरातत्व विभाग की ओर से बिना वन विभाग की अनुमति के वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित की जा रही है। विभाग की ओर से यहां वन एवं वन्यजीव अधिनियम के विपरीत नाइट ट्यूरिज्म की भी शुरूआत की गई है। पर्यटन विभाग और आरटीडीसी की ओर से रेस्टोरेंट और बीयर बार का संचालन किया जा रहा है।

कार्यकारी एजेंसी एडमा के अधिकारियों और पार्किंग ठेकेदारों ने 4 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर पार्किंग का निर्माण किया है। कहा जा रहा है कि पुरातत्व विभाग की मनमानी के चक्कर में जयगढ़ भी आ गया है और वन विभाग जयगढ़ की पार्किंग को भी वन भूमि पर बता रहा है।

कार्रवाई करने से बच रहा वन विभाग

पर्यटन स्थलों से पार्किंग खत्म करने के आदेश के बारे में जब हमने नाहरगढ़ रेंजर नितिन शर्मा से सवाल किए तो वह सफेद झूट बोलते नजर आए। शर्मा ने कहा कि वह नाहरगढ़ की पार्किंग में खंदक खोदने के लिए गए थे, लेकिन जेसीबी मशीन नाहरगढ़ के गेट के अंदर नहीं जा पाई, जबकि हकीकत यह है कि विवादित पार्किंग नाहरगढ़ के गेट के बाहर ही बनी हुई है। उनके बयान से प्रतीत होता है कि यह अवैध पार्किंग नाहरगढ़ रेंज के वन अधिकारियों की मिलीभगत से ही बनाई गई लगती है, नहीं तो आदेश जारी होने के बाद भी यहां कार्रवाई करने में अधिकारी आनाकानी नहीं करते और न ही झूठे बयान देते।

नहीं मिला नोटिसों का जवाब

नाहरगढ़ विवाद में परिवाद पेश करने वाले कमल तिवाड़ी और राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि उनके अभिभाषक ने नोटिस देकर उत सभी विभागों से जवाब मांगा था कि किसकी इजाजत से अभ्यारण्य क्षेत्र में अवैध रूप से वाणिज्यिक गतिविधियां की जा रही है। अभी तक उनको किसी भी विभाग की ओर से जवाब नहीं दिया गया है। जल्द ही वह एनजीटी में इस मामले को लेकर वाद पेश करेंगे।

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