ग्राउंड रेंट या सहभागिता शुल्क पर 50 फीसदी की दर से किया जा सकेगा राशि का पुनर्भरण
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुंतला रावत के निर्देशों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले व्यापार मेलों और प्रदर्शनी में भाग लेने पर इकाइयों द्वारा चुकाए गए ग्राउंड रेंट पर पुनर्भरण योजना को संवर्द्वित एवं रूपान्तरित करते हुए इसकी तिथि को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाया गया है। साथ ही रेंट या सहभागिता शुल्क पर प्रति प्रदर्शनी 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 1 लाख रूपए की राशि का पुनर्भरण के निर्देश दिए हैं।
राजस्थान निर्यात संवर्द्धन परिषद् के चेयरमैन राजीव अरोड़ा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भाग लेने वाली इकाइयों के लिए सराहनीय कदम साबित होगा। उन्होंने बताया कि ‘ग्राउण्ड रेंट पर पुनर्भरण योजना’ की गाइडलाइन के अनुसार पुनर्भरण की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2022 थी। इसे 31 मार्च 2025 तक बढ़ाया गया है। इस योजना को राज्य सरकार द्वारा निर्यातकों की वर्तमान आवश्यकतानुसार संशोधित कर दिया गया है।
अरोड़ा ने बताया कि योजना की क्रियान्वयन एजेन्सी राजस्थान निर्यात संवर्द्धन परिषद् होगी। उन्होंने बताया कि अनुमोदित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों, बायर्स सेलर्स मीट, ट्रेड शो आदि में हिस्सा लेने पर 9 वर्ग मीटर तक की स्टाल पर चुकाये गये ग्राउंड शुल्क पर 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 1 लाख रुपए की राशि का पुनर्भरण किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि एक वित्तीय वर्ष में एक इकाई को कुल 2 इवेन्ट्स के लिए अधिकतम कुल 2 लाख रूपये का पुनर्भरण किया जा सकेगा।
अरोडा ने बताया कि निर्यात प्रोत्साहन के लिए विदेशों में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों या अन्य गतिविधियों में राज्य से प्रतिनिधिमण्डल भेजने के लिए भी राज्य सरकार द्वारा पहली बार परिषद् को 10 लाख रुपए का प्रावधान किया जाएगा। राजस्थान निर्यात संवर्द्धन परिषद् के साथ पंजीकृत एमएसएमई एवं आयात-निर्यात कोड धारक ऐसी निर्यातक इकाई जो राजस्थान में स्थापित हो या ‘मिशन निर्यातक बनो’ के अन्तर्गत पंजीकृत निर्यातक इकाईयां इस योजना की पात्र होंगी।
अरोड़ा ने बताया कि वे भी इकाई इस योजना का लाभ उठा सकेंगी, जिसके द्वारा निर्यात गतिविधियां मिशन-निर्यातक बनों के आरंभ होने के बाद शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में नवीन निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की यह अनूठी योजना है जो निर्यातकों के विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।