राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम के अंतर्गत नवीन सेवाएं सम्मिलित, मुख्यमंत्री ने दी मंजूरी
विभिन्न विभागों की अधिसूचित सेवाओं में भी संशोधन
जयपुर। राजस्थान में पिछले चार सालों से बैड गवर्नेंस चल रहा है। आम जनता अधिकारियों और कर्मचारियों के कामकाज के आगे त्राहिमाम कर चुकी है। एसीबी के लगातार ट्रेप के बावजूद लोगों से सामूहिक लूट होती रही, लेकिन अब सरकार चुनावी साल को देखते हुए जनता को राहत के छींटे देने के लिए तैयार हो चुकी है।
राज्य सरकार योजनाओं का लाभ प्रदेश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाने तथा मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ‘गुड गवर्नेंस’ की दिशा में राजस्थान सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की नवीन सेवाओं को ‘राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम-2011’ के अंतर्गत लाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।
प्रस्ताव के अनुसार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, नगरीय विकास विभाग, स्वायत्त शासन विभाग, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रक मण्डल, गृह विभाग, परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग, आबकारी विभाग, ऊर्जा विभाग, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग, पर्यटन विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग, विधिक मापविज्ञान प्रकोष्ठ की विभिन्न नवीन सेवाओं को जोड़ने की मंजूरी दी गई है। साथ ही श्रम विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग, पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण विभाग, नगरीय विकास विभाग, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, गृह विभाग में सेवाओं के लिए अधिसूचित पदाभिहित अधिकारी/प्रथम अपील अधिकारी/द्वितीय अपील अधिकारी में संशोधन को मंजूरी दी गई है।
गहलोत की इस मंजूरी से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों को सुगमता से शीघ्र मिलना सुनिश्चित होगा। इससे विभागों की सेवा प्रदायगी की गुणवत्ता में सुधार होगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेशवासियों को सरकार द्वारा दी जा रही सेवाओं का पूर्ण लाभ प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2011 में राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम-2011 लाकर विभिन्न विभागों की सेवाओं को इसके अंतर्गत लाया गया था।