अदालत

निर्वाचित प्रतिनिधियों को पार्टी बदलने पर इस्तीफा देना चाहिए: केरल हाईकोर्ट

तिरुअनंतपुरम। केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि यदि कोई निर्वाचित प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक निष्ठा बदलना चाहता है, तो उसे पहले इस्तीफा देना चाहिए और फिर जनता के फैसले का सामना करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा, “यदि कोई निर्वाचित प्रतिनिधि अपनी नीति या राजनीतिक विचारधारा बदलना चाहता है, तो उसे इस्तीफा देना होगा और जनता के सामने फिर से चुनाव लड़ना होगा। यही लोकतंत्र की नैतिकता है। अन्यथा, यह जनता के साथ किया गया एकतरफा विश्वासघात होगा और उनकी इच्छा का अपमान होगा।”
हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि “किसी निर्वाचित प्रतिनिधि के खिलाफ शारीरिक हमला या हिंसा उचित नहीं है। जनता को अपना गुस्सा बैलेट के जरिए दिखाना चाहिए, न कि हिंसा के जरिए।”
केस की पृष्ठभूमि
कोर्ट यह टिप्पणी कोठट्टुकुलम नगर सभा की पार्षद कला राजू पर हुए हमले से जुड़े मामले में कर रही थी।
• 18 जनवरी को एलडीएफ पार्षद कला राजू को उनके ही पार्टी सदस्यों ने कथित रूप से अपहरण कर लिया, क्योंकि उन्होंने यूडीएफ द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट देने का फैसला किया था।
• अदालत ने हमले के आरोप में गिरफ्तार पांच आरोपियों को जमानत दे दी।
• न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने कहा कि एलडीएफ और यूडीएफ दोनों लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जगह हिंसा और अराजकता को बढ़ावा दे रहे हैं।
अदालत का अवलोकन
• “लोकतंत्र का मतलब सड़कों पर हिंसा और उपद्रव नहीं, बल्कि बैलेट पेपर से विरोध व्यक्त करना है।”
• “यदि कोई नेता जनता की इच्छा के खिलाफ जाता है, तो लोग अगली बार उसे वोट देकर हरा सकते हैं।”
• “लेकिन किसी निर्वाचित नेता पर हमला करना, उसकी साड़ी खींचना और उसका अपमान करना लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है।”
राजनीतिक संकट
कोठट्टुकुलम नगर सभा में एलडीएफ के पास सिर्फ एक सीट का बहुमत है। यदि कला राजू अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करती हैं, तो एलडीएफ सत्ता खो सकती है। इसी वजह से उनके अपहरण की साजिश रची गई, ऐसा आरोप लगाया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक असहमति को कानून के दायरे में रखा जाना चाहिए, न कि हिंसा और अपराध के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए।

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