जयपुर

दोनों निगमों में कुर्की के जरिए यूडी टैक्स वसूली के निर्देश, वसूली कंपनी के औचित्य पर उठे सवाल

जयपुर। जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर में यूडी टैक्स वसूली का जिम्मा निजी कंपनी स्पैरो सोफ्टेक प्रा.लि. को सौंपा गया था। कंपनी कर योग्य संपत्तियों के मालिकों से यूडी टैक्स वसूली में फेल साबित हो रही है। ऐसे में दोनों निगमों में राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह कुर्की के जरिए यूडी टैक्स वसूली करें। इन निर्देशों के बाद निगम में सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब कुर्की के जरिए ही यूडी टैक्स वसूली करनी थी, तो फिर निजी कंपनी को लगाने का क्या औचित्य है।

हाल ही में नगर निगम हैरिटेज के एक राजस्व अधिकारी ने उपायुक्त राजस्व (प्रथम) हैरिटेज को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा गया है कि कुर्की से प्राप्त यूडी टैक्स को कंपनी के खाते में जमा कराया जाए या फिर नगर निगम के खाते में। निगम सूत्रों का कहना है कि कुर्की के आदेश जारी करते समय इस बात का जिक्र नहीं किया गया था कि इससे प्राप्त टैक्स को किसके खाते में डाला जाए।

इस लिए देने पड़े आदेश

निगम के जानकारों का कहना है कि पहले राजस्व शाखा सालभर में 40-50 करोड़ से अधिक का यूडी टैक्स वसूल कर लेती थी, लेकिन यह निजी कंपनी अपने संसाधनों से 10-20 करोड़ का राजस्व भी एकत्रित नहीं कर पाई। इस लिए अधिकारियों को कुर्की के निर्देश देने पड़े ताकि निगमों में कुछ तो राजस्व आए, यदि राजस्व नहीं आया तो दोनों निगमों की वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी।

पहले भी कुर्की से ही वसूल होता था टैक्स

राजस्व अधिकारियों का कहना है कि यूडी टैक्स वसूली आसान काम नहीं है। लोग आसानी से टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं। पहले भी कुर्की के डर से ही यूडीटी की वसूली हो पाती थी, अब फिर कुर्की का डर दिखाकर टैक्स वसूला जाएगा, तो फिर प्राइवेट कंपनी को काम देने का क्या औचित्य है।

हो सकता है भ्रष्टाचार

राजस्व अधिकारियों का कहना है कि स्पैरो को सालाना न्यूनतम 80 करोड़ रुपए का यूडीटी वसूलना था। तभी उसकी वसूली पर उसे कमीशन देय था। यदि वह इससे कम वसूली करती है तो उस पर जुर्माना लगाया जाना तय था। कर्मचारी यूनियनें इस कंपनी पर पहले भी आरोप लगा चुकी है कि कंपनी को मिलीभगत से काम दिया गया है, ऐसे में कुर्की के जरिए यूडीटी वसूल कर चुपचाप कंपनी का टार्गेट पूरा किया जा सकता है और उसपर जुर्माना लगाने के बजाए उसे मुफ्त का कमीशन दिया जा सकता है, जो सरकारी राजस्व में चूना लगाने का काम होगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि निगम के वरिष्ठ अधिकारी राजस्व अधिकारियों क्या मार्गदर्शन देते हैं।

एग्रीमेंट के अनुसार करना चाहिए काम

नगर निगम हैरिटेज के उपायुक्त राजस्व (प्रथम) दिलीप शर्मा का इस मामले पर कहना है कि जोन अधिकारियों के पास भी इस कंपनी के साथ हुए एग्रीमेंट की कॉपी है। उन्हें एग्रीमेंट पढ़ना चाहिए और उसी के अनुसार काम करना चाहिए। वैसे मेरे पास अभी यह पत्र नहीं आया है। पत्र को देखने के बाद मार्गदर्शन दे दिया जाएगा।

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