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अपराध मुक्त राजस्थान के निर्माण के लिए नये कानून साबित होंगे मील का पत्थरः सीएम भजनलाल शर्मा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से आज सोमवार, 1 जुलाई से लागू हुए नवीन भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम से संविधान की मूल भावना को बल मिला है। पुराने कानूनों में केवल सजा का प्रावधान था लेकिन अब इन नए कानूनों में न्याय पर जोर दिया गया है। यह कहना है राजस्थान के मुख्यमंत्री भन लाल का। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। अपराधमुक्त राजस्थान बनाने तथा शीघ्र एवं सुलभ न्याय के लिए ये कानून मील का पत्थर साबित होंगे।
शर्मा सोमवार को नवीन आपराधिक कानूनों को आमजन तक पहुंचाने के संबंध में गृह विभाग की उच्चस्तरीय बैठक ले रहे थे। बैठक में सभी 50 जिलों से पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं सीएलजी सदस्य, सुरक्षा सखी, ग्राम रक्षक और पुलिस मित्र तथा आमजन वर्चुअल रूप से जुडें। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1860 में बने भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बने दंड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा 1872 में बने एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के लागू होने से कानून में भारतीयता की आत्मा को दुबारा स्थापित किया गया है। इन नए कानूनों में न्याय की अवधारणा, पीड़ित केन्द्रित सोच तथा त्वरित न्याय के सिद्धांत पर बल दिया गया है।
प्रधानमंत्री जो कहते है, वो करके दिखाते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि हमें जल्द से जल्द गुलामी की मानसिकता और गुलामी के प्रतीक चिह्नों को समाप्त कर नए आत्मविश्वास से भरे नए भारत की स्थापना करनी है। इसके अनुसरण में उन्होंने आज के समय में अनुपयोगी हो चुके पुराने आपराधिक कानूनों को हटाकर उनके स्थान पर नवीन आपराधिक विधियों को लागू करवाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जो कहते हैं, वो कर के भी दिखाते हैं।
नए कानूनों में महिलाओं, बच्चों तथा पीड़ितों पर विशेष ध्यान
शर्मा ने कहा कि नए कानूनों में पीड़ित को जल्द न्याय उपलब्ध कराने और दोषी के स्थान पर पुनर्वास की भावना को प्रधानता दी गई है। साथ ही, महिलाओं, बच्चों तथा ग्रामीणों के हितों को बढ़ावा देने के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है। इन नए आपराधिक कानूनों में लिंग निरपेक्ष शब्दों द्वारा लैंगिक समानता को बढ़ावा तथा मानसिक विमंदितों के प्रति बौद्धिक विकलांगता जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है।
नियम समय में न्याय मिलने के प्रावधान शामिल
मुख्यमंत्री के कहा कि नवीन आपराधिक विधि में आपराधिक मामले के महत्वपूर्ण चरणों को नियत समय-सीमा में बांधा गया है। नए कानूनों में परिवादी को 90 दिन होने पर मुकदमें की प्रगति से पुलिस को अवगत कराना, प्राथमिक जांच को 14 दिन में सम्पन्न करना, बलात्कार संबंधी मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन में प्रदान करना, न्यायालय द्वारा पहली सुनवाई के 60 दिन में आरोप तय करना और विचारण पूरा होने के 45 दिन में निर्णय देने जैसे प्रावधान शामिल हैं, जिससे पीड़ित को त्वरित न्याय मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में छोटे-मोटे अपराधों के लिए दंड के स्थान पर सामुदायिक सेवा, ई-चालान, ई-समन जैसे प्रावधान, मॉब लिंचिंग को परिभाषित, ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग, राजद्रोह के कानूनी प्रावधान को समाप्त कर देशद्रोह को स्थान देना जैसे प्रावधानों से देश में न्याय और कानून के शासन को बल मिलेगा।
प्रत्येक पुलिस थाने पर डेशबोर्ड लगाकर नए कानूनों की जानकारी दें
शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक पुलिस थाने पर इन कानूनों की जानकारी के संबंध में डेशबोर्ड लगाया जाए। साथ ही, नवीन आपराधिक विधियों का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें। बैठक में बताया गया कि सभी पुलिस कार्मिकों को इन नए कानूनों के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब तक 51 हजार से अधिक पुलिस कार्मिक इन नए कानूनों का प्रशिक्षण ले चुके हैं। साथ ही, आमजन को सरलतम शब्दों में जानकारी देने के लिए जन-जागरूकता अभियान भी संचालित किया जा रहा है।
बैठक में गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम, पुलिस महानिदेशक यूआर. साहू, मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री कार्यालय) शिखर अग्रवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह आनंद कुमार, प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री कार्यालय) आलोक गुप्ता सहित पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जुडें।

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