जयपुर

राजस्थान सरकार (Rajasthan Govt) में बसपा (BSP) व निर्दलीयों (Independents) को तवज्जो, पार्टी कार्यकर्ता (Independents) हो रहे प्रताड़ित : करण सिंह

राजस्थान की गहलोत सरकार (Rajasthan Govt) में बसपा (BSP) से कांग्रेस में आए 6 विधायकों और 11 निर्दलीय (Independents) विधायकों को तवज्जो मिलने से कांग्रेस के हारे हुए प्रत्याशियों में असंतोष उभरने लगा है। पूर्व में विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों की ओर से सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने के बाद अब कांग्रेस के पूर्व सांसद और किशनगढ़बास से प्रत्याशी रहे करण सिंह का दर्द भी छलक उठा।

पूर्व सांसद करण सिंह यादव ने गहलोत सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बसपा और निर्दलीय विधायकों का साथ लेकर मजबूरी में सरकार चला रहे हैं। सरकार में निर्दलीयों (Independents) व अन्य नेताओं को तव्वजो मिल रही है और कांग्रेस पार्टी के नेता और पार्टी कार्यकर्ताओं (Party Workers) को हाशिए पर रखा जा रहा है जिसका खामियाजा आने वाले चुनाव में झेलना पड़ सकता है।

यादव ने सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने वाले बसपा और निर्दलीय विधायकों को सरकार और संगठन में तवज्जो मिल रही है़ संगठन से लेकर राजनीतिक नियुक्तियों और क्षेत्र में काम भी उन्हीं के कहने पर हो रहे हैं, जिससे हारे हुए कांग्रेस प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं का मनोबल जवाब दे रहा है।

सचिन पायलट व उनके समर्थकों की मांग का समर्थन करते हुए यादव ने का कहना है कि क्षेत्र में न कांग्रेस कार्यकर्ताओं के काम हो रहे हैं और ना ही प्रत्याशियों के, बल्कि बसपा और निर्दलीय विधायकों की ओर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में प्रताडि़त किया जा रहा है, कार्यकर्ताओं और नेताओं में पार्टी और सरकार के खिलाफ असंतोष बढऩे लगा है और ढाई साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार की मजबूरी है कि उन्हें बसपा और निर्दलीय विधायकों को खुश रखना है लेकिन सत्ता और संगठन को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं का भी ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो उन क्षेत्रों में पार्टी मजबूत कैसे होगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चाहिए कि बसपा और निर्दलीय विधायकों के क्षेत्रों में आधे काम बसपा और निर्दलीय विधायकों के हो और आधे काम कांग्रेस प्रत्याशियों नेताओं के होने चाहिए। अगर ऐसे ही चलता रहा तो पार्टी के कार्यकर्ता और नेता कहां जाएंगे।

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