दिल्लीराजनीति

महुआ मोइत्रा का टीएमसी ने भी छोड़ा साथ, ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले से बनाई दूरी

भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा पर संसद में प्रश्न पूछने के लिए एक कारोबारी से रुपए लेने का आरोप लगाने के बाद टीएमसी सांसद विवादों में घिर गई हैं।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपने सांसद महुआ मोइत्रा से खुद को दूर कर लिया है, जो भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा ‘संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने’ के आरोपों का सामना कर रही हैं। पार्टी नेता कुणाल घोष ने शनिवार को कहा कि ‘संबंधित व्यक्ति ही मुद्दों का जवाब दे सकता है’।
टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने बताया, ‘इस विशेष मुद्दे पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। हमारे पास इस पर कहने के लिए कुछ नहीं है, तृणमूल कांग्रेस एक भी शब्द नहीं कहेगी। हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है और कोई टिप्पणी नहीं है। संबंधित व्यक्ति मुद्दों को समझा सकता है या जवाब दे सकता है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस नहीं।’
अभी के लिए कोई टिप्पणी नहीं
भाजपा द्वारा तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ”हम मुद्दे पर नजर रख रहे हैं, जानकारी जुटा रहे हैं लेकिन हम अभी कुछ भी टिप्पणी नहीं करना चाहते।” संभावित कार्रवाई के बारे में एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, “अभी के लिए कोई टिप्पणी नहीं।” इस मामले को लेकर अन्य विपक्षी दलों ने टिप्पणी की है, लेकिन यह पहली बार है कि तृणमूल कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने पार्टी का रुख सामने रखा है।
लोकसभा की आचार समिति के पास मामला
लोकसभा की आचार समिति ने मोइत्रा के खिलाफ भाजपा सांसद द्वारा दायर शिकायत के संबंध में इस महीने के अंत में मौखिक साक्ष्य के लिए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई को बुलाया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि टीएमसी सांसद की ‘संसद में कैश फॉर क्वेरी’ मामले में सीधी भागीदारी है।
ओम बिरला से जांच समिति गठित करने का आग्रह
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से लोकसभा सदस्य मोइत्रा पर संसद में प्रश्न पूछने के लिए एक कारोबारी से रुपए लेने का आरोप लगाने के बाद टीएमसी सांसद विवादों में घिर गई हैं। दुबे ने बीते 15 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए जांच समिति गठित करने का आग्रह किया है।
महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली
बिरला को लिखे पत्र में, दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई से प्राप्त एक पत्र का हवाला दिया और कहा कि वकील ने ‘पुख्ता’ सबूत साझा किए हैं कि महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से ‘नकद’ और ‘उपहार’ के रूप में रिश्वत ली है। दुबे के पत्र के जवाब में, मोइत्रा ने कहा था कि सांसदों के सभी संसदीय कार्य निजी सहायक (पीए), सहायकों, प्रशिक्षुओं और बड़ी टीम द्वारा किए जाते हैं।
हीरानंदानी ने भी महुआ मोइत्रा पर साधा निशाना
हीरानंदानी ने बृहस्पतिवार को एक हलफनामे में दावा किया था कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘बदनाम’ करने के लिए उद्योगपति गौतम अडाणी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा था कि मोइत्रा का इरादा प्रधानमंत्री को बदनाम करना था क्योंकि उनकी प्रतिष्ठा के कारण विपक्षी दलों को उन पर हमले का मौका नहीं मिलता।
हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल
तृणमूल कांग्रेस की नेता एवं सांसद महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि ‘पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) ने इस पत्र को तैयार’ किया था और हीरानंदानी के परिवार के कारोबार को ‘पूरी तरह बंद करने की धमकी देकर’ उन्हें इस शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।

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