जयपुर

‘विश्व प्रसिद्ध आमेर’ (world famous Amber) में प्राचीन स्मारकों (ancient monuments) के पास अवैध बसावट (illegal settlements) को वैध करने की तैयारी

आमेर महल के नीचे, जगत शिरोमणी मंदिर, अकबरी मस्जिद व अन्य स्मारकों के पास प्रशासन शहरों के संग अभियान में मांगे जा रहे पट्टे, जिम्मेदार विभाग मौन

विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष

धरम सैनी

जयपुर। ‘वर्ल्ड हेरिटेज सिटी, जयपुर’के ‘प्रसिद्ध आमेर’ (world famous Amber) कस्बे की सूरत जल्द ही बदलने वाली है। प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान के जरिए आमेर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) और राजस्थान के पुरातत्व विभाग की ओर से प्राचीन स्मारकों (ancient monuments) के आस-पास अवैध बसावट (illegal settlements) को वैध करने की तैयारियां चल रही है।

जानकारी के अनुसार नगर निगम हेरिटेज के हवामहल जोन का पूरा अमला इस अभियान में आमेर में अवैध कब्जेधारियों को पट्टे दिलाने में जुटा हुआ है। पिछले 15 दिनों में निगम हेरिटेज की ओर से आमेर में पट्टा मांगने वालों की कई लिस्टें अखबरों में प्रकाशित कराई जा चुकी है, जबकि सभी को पता है कि संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर के दायरे में यह पट्टे किसी भी कीमत पर जारी नहीं हो सकते हैं।

सूत्रों का कहना है कि इनमें से अधिकांश पट्टे आमेर महल के नीचे, तीन पट्टे एएसआई के संरक्षित जगत शिरोमणी मंदिर, एएसआई के संरक्षित अकबरी मस्जिद, बस स्टैंड के पास पुरातत्व विभाग के लक्ष्मीनारायण मंदिर के आस-पास मांगे गए हैं, जबकि पुरातत्व नियमों के अनुसार इन स्मारकों के 50 से 100 मीटर की दूरी तक नवीन बसावट नहीं की जा सकती है।

इन संरक्षित स्मारकों के रक्षित क्षेत्र में मांगे जा रहे पट्टे
एएसआई की ओर से आमेर के जगत शिरोमणी मंदिर, सूर्य मंदिर, अकबरी मस्जिद और लक्ष्मीनारायण मंदिर के आस-पास संरक्षित क्षेत्र में अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ 40 के करीब नोटिस दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद न तो जिला प्रशासन और न ही नगर निगम इन अवैध निर्माणों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर रहे हैं। ऐसे में पट्टे जारी होने के बाद यहां नवीन निर्माण की बाढ़ आ जाएगी और यह संरक्षित स्मारक नवीन निर्माण के बीच ओझल हो जाएंगे, जो पर्यटन पर काफी गंभीर प्रभाव डालेगा।


जिला प्रशासन और नगर निगम होगा जवाबदेह
एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी प्रवीण सिंह का कहना है कि नगर निगम आयुक्त व अन्य अधिकारियों को पुरातत्व नियमों की पूरी जानकारी है। उन्हें यह भी पता है कि पूर्व में संरक्षित स्मारकों के आस-पास नवीन निर्माणकर्ताओं को एएसआई की ओर से नोटिस दिए जा चुके हैं। अवैध निर्माण हटाने के लिए जिला कलेक्टर और निगम आयुक्त को भी पत्र लिख जा चुके हैं। इसके बावजूद यदि निगम यहां पट्टे जारी करता है और नवीन निर्माण होते हैं, तो इसका जवाबदेह नगर निगम प्रशासन होगा।

हाथ पर हाथ धरे बैठा पुरातत्व विभाग
वहीं दूसरी ओर पुरातत्व विभाग अभी हाथ पर हाथ धरे बैठा है, मानो उन्हें अपने स्मारकों की कोई चिंता नहीं है। विभाग की ओर से निगम हेरिटेज को अभी तक यह भी नहीं कहा गया है कि पट्टे जारी करने से पूर्व आवेदन उनके संज्ञान में लाए जाएं। आमेर महल प्रशासन पर तो कई बार आरोप लग चुके हैं कि वह आमेर महल जाने के रास्तों और आमेर के संरक्षित स्मारकों के आस-पास अवैध निर्माण को नजरअंदाज करता रहा है। पुरातत्व विभाग मुख्यालय और आमेर महल प्रशासन में कोई भी अधिकारी इस मामले पर बोलने के लिए तैयार नहीं है। सभी इस मामले से बचने में लगे हैं।

हेरिटेज सेल पर सवालिया निशान
वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर में आमेर कस्बा भी शामिल है, जिसका जिम्मा नगर निगम हेरिटेज का है। नगर निगम हेरिटेज में शहर के हेरिटेज का मूल स्वरूप बनाए रखने और प्राचीन इमारतों के संरक्षण के लिए हेरिटेज सेल बना हुआ है। यूनेस्को की गाइडलाइन के अनुसार निगम को शहर में प्राचीन स्थलों के आस-पास भीड़-भाड़, वाणिज्यिक गतिविधियां नहीं होने देने की भी जिम्मेदारी है। ऐसे में प्राचीन स्मारकों के पास पट्टे के लिए आवेदन आने के बाद भी हेरिटेज सेल के मौन पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।

इनकी भूमिका संदिग्ध
सूत्रों का कहना है कि नगर निगम हेरिटेज के हवामहल आमेर जोन की इस मामले में भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। आमेर के कुछ पार्षद, आमेर में रहने वाले निगम के कुछ कर्मचारियों, एक नक्शानवीस को लेकर चर्चाएं गरम है। कहा जा रहा है कि जोन की ओर से अखबरों में प्रकाशित कराई जा रही आपत्ति लिस्ट में नाम चढ़ाने के एवज में ही मोटी रकम वसूली जा रही है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व ही आमेर के एक पार्षद पति एसीबी के हत्थे चढ़े हैं, इसके बावजूद पार्षद हों या निगम अधिकारी-कर्मचारी बेखौफ होकर पट्टे दिलाने के काम में जुटे हैं।

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