जयपुर

राज्य की प्रथम हस्तशिल्प नीति का प्रारूप जारी, आमजन से किये सुझाव आंमत्रित

जयपुर। उद्योग विभाग ने मंगलवार को हस्तशिल्प नीति का प्रारुप जारी कर दिया है। विभाग ने प्रारुप पर आम लोगों से सुझाव मांगे हैं। हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन देने और हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह प्रारुप तैयार किया गया है। राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पादों को अंतराज़्ष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास किए जाएगें। उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि प्रदेश में विलुप्त होती हस्तकलाओं के लिए हस्तशिल्प नीति संजीवनी का काम करेगी। इससे हस्तशिल्प से जुड़े लोग सशक्त होंगे और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

उद्योग मंत्री ने कहा कि हस्तशिल्प नीति का उद्देश्य हस्तशिल्पियों के उत्थान के बेहतर मार्केट की व्यवस्था करना, प्रदेश की हस्तकलाओं को पुनर्जिवित करना, राज्य के उत्पादों के निर्यात योग्य बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है।

उद्योग आयुक्त अर्चना सिंह ने बताया कि प्रारुप में हस्तशिल्प को बढावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गये हैं। आम लोगों से इस पर सुझाव मांगे गये हैं। इसके बाद स्टैक होल्डर्स के साथ वार्ता की जाएगी। सारगर्भित सुझावों को नीति के अंतिम ड्राफ्ट में शामिल किया जाएगा।

ये हैं नीति के मुख्य प्रावधान

राजस्थान हस्तशिल्प सप्ताह : राज्य के हस्तशिल्प उत्पादों के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रतिवर्ष दिसबंर में हस्तशिल्प सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। इसमें देश के विभिन्न राज्यों के हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस सप्ताह का आयोजन जयपुर स्थित राजस्थान हाट में होगा।

पुरस्कार एवं सम्मान : हस्तशिल्प से जुड़े युवाओं, महिलाओं, निर्यात क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले हस्तशिल्पियों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। विलुप्त होती परम्परागत हस्तकलाओं को बचाने में विशेष योगदान देने वाले दस्तकारों को भी सम्मानित करने का प्रावधान किया गया है।

हस्तशिल्प स्मृति चिन्ह : सरकारी कार्यक्रमों, पुरस्कारों एवं सम्मान समारोह में हस्तशिल्प से जुड़े उत्पाद दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही राज्य की हस्तकला के प्रचार के लिए इस क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्ति को ब्रांड एम्बेसडर बनाया जाएगा।

राजस्थान हस्तकला प्रलेखन : राज्य की प्रमुख हस्तकलाओं से संबंधित जानकारियों को प्रलेखन कराया जाएगा। इससे हस्तकला के सिद्धांतो और विधियों के लिखित दस्तावेज आम लोगों को सुलभ रूप से उपलब्ध हो सकेंगे। साथ ही हस्तकलाओं को चिन्हित कर शिल्पकलाओं एवं हस्तशिल्पियों का सर्वे कर डाटा बेस तैयार किया जाएगा।

छात्रवृति की व्यवस्था : हस्तशिल्प नीति के प्रारुप में राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार प्राप्त दस्तकारों एवं बुनकरों के बच्चों को मान्यता प्राप्त हस्तशिल्प एवं हथकरघा संस्थान से हस्तशिल्प एवं टैक्सटाइल विषयों में डिग्री या डिप्लोमा करने पर छात्रवृति दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

ऐसे दें सुझाव : विभाग की वेबसाइट पर प्रारुप की पीडीएफ कॉपी अपलोड कर दी गई है। प्रारुप का अध्ययन करने के बाद आम लोग एक महिने में सुझाव दे सकते हैं। उद्योग विभाग के शासन सचिव आशुतोष ए. टी. पेडणेकर ने प्रारुप को अंतिम रूप दिया है। आयुक्त अर्चना सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने इस हस्तशिल्प नीति के प्रारुप को तैयार किया है।

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