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संयुक्त राष्ट्र में भारत ने किया द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन और इजराइली बंधकों को रिहा करने की मांग उठाई

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने इजरायल-हमास संघर्ष के युद्धविराम का स्वागत करते हुए कहा कि भारत द्वि राष्ट्र (टू स्टेट सॉल्यूशन) निराकरण के समर्थन में है। और वह, बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग करता है। भारत का यह पक्ष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने रखा।


संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में रुचिरा कंबोज ने कहा कि सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर फलस्तीन की स्थापना होनी चाहिए, जहां वह स्वतंत्र इजरायल के साथ शांति से रह सकें। भारत ने मंगलवार को फलिस्तीनी लोगों के साथ दीर्घकालिक संबंधों को एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि इजरायल-हमास संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर सामान्य नागरिकों की जान को नुकसान हो रहा है, यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा इस मानवीय संकट से निपटने के लिए सभी पक्षों को अत्यधिक जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने हमास द्वारा बंधक बनाए गये सभी लोगों की बिना शर्त रिहाई का आग्रह किया। कंबोज ने कहा कि हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के उन सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं, जिससे संघर्ष रुके और फलिस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता दी जा सके। उन्होंने कहा, ‘हम आज एक ऐसे समय पर एकत्र हुए हैं जब मध्य पूर्व में चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष के कारण सुरक्षा स्थिति बिगड़ रही है।’
रुचिरा ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर नागरिक जीवन, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की मौत हो रही है। यह एक खतरनाक मानवीय संकट है और अस्वीकार्य है और हम नागरिकों की मौत की निंदा करते हैं।’ यही नहीं उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी ओर से 70 टन मानवीय सामग्री को भेजा है, जिसमें 16.5 टन दवा और चिकित्सा आपूर्ति शामिल है।’
कंबोज ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का दृष्टिकोण रखता है। उन्होंने कहा, ‘मैं यह जोड़ना चाहूंगी कि संघर्ष की शुरुआत के बाद से पीएम मोदी और विदेश मंत्री क्षेत्र और उससे अलग के नेताओं के साथ संपर्क में रहे हैं। उन्होंने हर बार कहा है कि संघर्ष को रोकना बेहद महत्वपूर्ण है।’ उल्लेखनीय है कि अक्टूबर में हमास द्वारा किये गये हमले के बाद से अब तक 81 बंधकों को अब तक छोड़ा जा चुका है। इजरायल -हमास युद्ध में गाजा के 15000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।

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