अदालतदिल्ली

ज्ञानवापी परिसर के व्यास जी तहखाने में पूजा रुकवाने के लिए मुस्लिम पक्ष ने सुबह 3 बजे खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा लेकिन राहत नहीं मिली..!

वाराणसी जिला अदालत द्वारा हिंदू समुदाय को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा का अधिकार दिए जाने के चंद घंटों बाद बुधवार देर रात तहखाने को खोलकर उसमें पूजा की गई। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने गुरुवार सुबह 3 बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 4 बजे मामला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखा गया। हालांकि मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली और कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने ज्ञानवापी मस्जिद के एक तहखाने में पूजा करने के वाराणसी अदालत के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद की कानूनी टीम, जिसमें वकील फुजैल अय्यूबी, निजाम पाशा और आकांशा सम्मिलित थे, ने गुरुवार सुबह 3 बजे सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से संपर्क किया। मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि मुस्लिम पक्ष कानूनी उपाय तलाश सके। गुरुवार सुबह तीन बजे मुस्लिम पक्ष ने रजिस्ट्रार से करीब एक घंटे तक बातचीत की।
सीजेआई ने देखी फाइल
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने सुबह 4 बजे भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सामने दस्तावेज रखे। सुबह-सुबह कागजात देखने के बाद सीजेआई ने मुस्लिम पक्ष से किसी भी तरह की राहत के लिए मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उल्लेख करने को कहा है।
तहखाने में लक्ष्मी-गणेश की आरती की गई
काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने बताया कि रात करीब साढ़े 10 बजे 31 साल बाद व्यास जी का तहखाना पूजा-पाठ के लिये खोला गया और उसकी साफ-सफाई कराई गई। इस सवाल पर कि क्या तहखाने में पूजा शुरू हो गई है, उन्होंने कहा, ‘हां।’ पांडेय ने कहा कि जैसा कि न्यायालय का आदेश था, उसका पालन करना भी जरूरी था तो जिला प्रशासन ने बड़ी मुस्तैदी के साथ सारी व्यवस्था कर दी है। मुझे लगता है कि और जो भी कमी रह गई है, उसे धीरे-धीरे पूरा कर लिया जाएगा।
मुलायम सिंह सरकार ने बंद कराई थी पूजा
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी मगर उसी साल तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे बंद करा दिया था।

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