अयोध्याधर्म

राम मंदिर के गर्भगृह में नहीं होंगी माता सीता: 4000 मजदूर 24 घंटे कर रहे काम, निर्माण में शून्य फीसदी लोहा

अयोध्या में 70 एकड़ में बनने वाले राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति गर्भ गृह में विराजित होगी। यह राम का वह रूप होगा, जिसमें वे 5 साल के बालक रूप में होंगे। चूंकि मूर्ति भगवान के बाल स्वरूप की है इसलिए मुख्य मंदिर के गर्भगृह में मां सीता की कोई मूर्ति नहीं होगी। चंपत राय कहते हैं, ‘मुख्य मंदिर 360 फीट लंबा और 235 फीट चैड़ा होगा। मंदिर का शिखर 161 फीट ऊंचा होगा। परिसर के जिस गर्भगृह में रामलला विराजेंगे वहां पहुंचने के लिए 32 सीढ़ि़यां चढ़़नी पड़ेंगी। सबसे खास बात यह है कि जो मूर्ति स्थापित होगी वह उस स्वरूप की होगी, जिसमें भगवान की शादी नहीं हुई है। यानी कि मुख्य मंदिर में आपको मां सीता की मूर्ति नजर नहीं आएगी।’
अयोध्या में जन्मभूमि परिसर में 7 और मंदिर बनेंगे
मुख्य मंदिर के अलावा जन्मभूमि परिसर में 7 और मंदिर बनाए जा रहे हैं। इनमें भगवान राम के गुरु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ, ब्रह्मर्षि विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि, अगस्त्य मुनि, रामभक्त केवट, निषादराज और माता शबरी के मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों का निर्माण 2024 तक पूरा हो जाएगा।
32 सीढ़ियां चढ़़कर होंगे रामलला के दर्शन
राम मंदिर के गर्भगृह तक जाने से पहले आपको लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा। मंदिर का प्रवेश पूर्व दिशा में बने सिंह द्वार से होगा। सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़़कर सबसे पहले रंग मंडप मिलेगा। यहां भगवान राम के जीवन से जुड़े चित्र और किरदार दीवारों पर उकेरे गए हैं। रंग मंडप से आगे चलने पर नृत्य मंडप पड़ेगा। गर्भ गृह के सबसे नजदीक यही जगह है। नृत्य मंडप में देवी देवताओं की मूर्तियां, रामायण की चैपाइयां पत्थरों पर बहुत सुंदरता से उकेरी गई हैं। नृत्य मंडप से आगे बढ़़ने पर भगवान का गर्भ गृह पड़ेगा। यहीं पर 22 तारीख को पीएम मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।
चंपत राय ने ये बातें भी बताईं
मंदिर निर्माण में 4000 मजदूर लगे: मंदिर के तेजी से निर्माण के लिए देशभर के 4000 मजदूर लगे हैं। इंटरलॉकिंग की मदद से पत्थर के ऊपर पत्थर जोड़े जा रहे हैं। इसमें तांबे के तार का प्रयोग मुख्यरूप से किया जा रहा है। लोहे का इस्तेमाल 0 फीसदी है। परिसर को हराभरा रखने के लिए 50 फ्लोरा फैमिली के 500 से ज्यादा पेड़ पूरे परिसर में लगाए जा रहे हैं।
गर्भगृह में मकराना का सफेद मार्बल लगा: मिट्टी की जांच से पता चला था कि अयोध्या की मिट्टी बलुई और भुरभुरी है। आईआईटी टेक्नोक्रेट्स की मदद से 40 मीटर नीचे तक खुदाई की गई। 2 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी हटाई गई। पानी से बचाव के लिए जमीन से 21 फीट ऊंचाई तक ग्रेनाइट लगाया गया है। गर्भगृह में सफेद मकराना मार्बल इस्तेमाल हुआ। ऊंचाहार थर्मल पावर प्लांट से राख आई है। पत्थर राजस्थान के भरतपुर से आए हैं। वुडन कार्विंग के लिए मजदूर तमिलनाडु से आए हैं।
मंदिर में 100 बाथरूम-टॉयलेट की व्यवस्था: राम लला के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए परिसर में कई तरह की आरामदायक सुविधाएं मौजूद होंगी। तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र में 25000 यात्री अपना मोबाइल, पर्स, जूता-चप्पल और जरूरी सामान रख सकेंगे। मंदिर में चिकित्सा से लेकर प्रसाधन सुविधा होंगी। इसमें 100 टॉयलेट- बाथरूम, यूरिनल्स और ओपनटैप की सुविधा होंगी। 33 किलोवाट की बिजली सप्लाई के लिए मंदिर परिसर में अलग से पावर स्टेशन होगा।
मंदिर में चाय की एक भी दुकान नहीं होगी: ट्रस्ट ने साफ तौर पर कहा है कि परिसर को गंदगी से मुक्त रखने के लिए यहां किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री का स्टॉल नहीं होगा। यानी आपको चाय की एक दुकान तक नहीं मिलेगी। यह सब इसलिए किया गया है कि अगले 25 साल तक यहां कोई ऐसा कारोबार न बढ़़े ताकि गंदगी हो।
मीडिया को दिखाया मंदिर का ब्लू प्रिंट
बुधवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय मंदिर का ब्लू प्रिंट लेकर मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा, 3 मंजिल के राम मंदिर में अब सेकेंड फ्लोर बनाया जा रहा है। मंदिर का ग्राउंड फ्लोर तैयार हो चुका है। पहली मंजिल भी 80 फीसदी बन चुकी है।
मंदिर में परकोटों का निर्माण करवाया जा रहा
200 साल में ऐसी रचना उत्तर भारत में नहीं हुई। मंदिर में परकोटों का निर्माण करवाया जा रहा है। ऐसे परकोटे सिर्फ तमिलनाडु और केरल के मंदिरों में बनते हैं। यह नई तरह का प्रयोग है। अभी निर्माण जारी है, पूरा होने में करीब 6 महीने और लगेंगे। इन परकोटों में बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए लिफ्ट लगेंगी।
परकोटे के एक कोने पर सूर्य मंदिर होगा
चंपत राय ने बताया- परकोटे के एक कोने पर सूर्य मंदिर होगा। दूसरे कोने पर भगवान शंकर का मंदिर है। तीसरे पर भगवती और चैथे पर गणेश और दक्षिणी भुजा पर हनुमान मंदिर होगा। जटायु की प्रतिमा को कुबेर टीला पर स्थापित किया जा रहा है।
70 एकड़ जमीन, सिर्फ 30 फीसदी पर हो रहा निर्माण
70 एकड़ के 30 फीसदी भाग पर निर्माण हो रहा है। बाकी जमीन पर पौधे लगाए जाएंगे। राम मंदिर के चारों ओर एक दीवार बनाई जा रही है। 70 एकड़ के नॉर्थ पार्ट में मंदिर बन रहा है। छोटे हिस्से में मंदिर इसलिए बनवा रहे हैं, क्योंकि 70 साल से कोर्ट में जिस प्लॉट नंबर पर केस था, उसी पर मंदिर बनाया जा सकता है। मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में होगा। उत्तर में निकास द्वार है। अंदर के सभी खंभों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें उकेरी जा रही हैं।
कब होगी प्राण-प्रतिष्ठा?
22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से मूल मुहूर्त होगा, जो 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक चलेगा। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा महज 1 मिनट 24 सेकेंड में पूरी होगी। काशी के पंडितों ने यह मुहूर्त तय किया है। 21 वैदिक और कर्मकांडी ब्राह्मणों के साथ यह भारत का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान होगा।

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