चुनावदिल्ली

मुख्यमंत्रियों के नाम पर भाजपा में गहरा मंथन, ‘हिट’ नहीं ‘फिट’ चेहरों की तलाश

मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़। तीनों ही राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए भाजपा ने किसी चेहरे को आगे नहीं किया और वहां प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी इनमें से किसी राज्य में मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर अभी तक कोई संकेत तक नहीं दिया है। चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम रविवार को सामने आ गए।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़। तीनों ही राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए भाजपा ने किसी चेहरे को आगे नहीं किया और वहां प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी इनमें से किसी राज्य में मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर अभी तक कोई संकेत तक नहीं दिया है।
भाजपा के पास कई विकल्प
दरअसल, यहां विकल्प को लेकर कोई संकट नहीं है। ‘हिट’ या कहें कि चर्चित चेहरों की कतार है, लेकिन पार्टी आलाकमान की नजरें इनमें से उन चेहरों को तलाश रही हैं, जो न सिर्फ राज्यों में सक्षम नेतृत्व दे सकें, बल्कि अगले वर्ष होने जा रहे लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से भी प्रत्येक समीकरण में ‘फिट’ बैठते हों।
रविवार को सामने आए नतीजे
चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम रविवार को सामने आ गए। इनमें मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर की आशंकाओं को खारिज करते हुए भाजपा ने प्रचंड बहुमत प्राप्त कर सत्ता में वापसी की तो कांग्रेस के हाथ से अप्रत्याशित रूप से छत्तीसगढ़ और राजस्थान को भी छीन लिया।
तीनों राज्यों में चला ‘मोदी मैजिक’
तेलंगाना में जरूर कांग्रेस को सत्ता मिल गई। इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा द्वारा जीते गए इन तीनों ही राज्यों में ‘मोदी मैजिक’ मतदाताओं से सिर चढ़कर बोला है, लेकिन टीम वर्क के रूप में स्थानीय नेताओं की भूमिका को भी सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि चुनाव परिणाम सामने आने के बाद से ही तीनों राज्यों में कई चर्चित चेहरों को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं।
केंद्रीय नेतृत्व ने साधी चुप्पी
तीनों राज्यों में सभी बड़े और हाल फिलहाल में चर्चित हुए चेहरों के नाम मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में उछाले जा रहे हैं। इस तेज चर्चा के बीच भाजपा नेतृत्व की ओर से पूरी तरह से खामोशी है। यहां तक कि इन राज्यों में मुख्यमंत्री चयन को लेकर अभी तक पर्यवेक्षक तक की नियुक्ति नहीं की गई है।
पार्टी के अंदर सलाह-मशवरे का दौर
पार्टी सूत्रों के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व अभी इन राज्यों की गहरी राजनीतिक-सामाजिक समझ रखने वाले नेताओं से सलाह-मशवरा कर रहा है। दरअसल, तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा चुनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखा जा रहा है। चूंकि, तीनों पड़ोसी राज्य हैं, इसलिए राज्यों का नेतृत्व सौंपते वक्त सामाजिक-जातीय समीकरण साधा जाना है।
महिला नाम पर भी विचार
क्या किसी एक राज्य का जिम्मा महिला को दिया जाए? यह भी विचार है। कुल मिलाकर इस सारे मंथन के केंद्र में मिशन-2024 भी है। भाजपा के शीर्ष रणनीतिकार मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक का चयन इस तरह सभी समीकरण साधते हुए करना चाहते हैं, जिसके लिए लोकसभा चुनाव की बिसात मजबूत और संतुलित ढंग से बिछाई जा सके।

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